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काव्य संग्रह - भाग 2

हे पिंजरे की ये मैना

हे पिंजरे की ये मैना, भजन कर ले राम का,
भजन कर ले राम का, भजन कर ले श्याम का॥टेर॥
राम नाम अनमोल रतन है, राम राम तूँ कहना,
भवसागर से पार होवे तो, नाम हरिका लेना॥१॥
भाई-बन्धु कुटुम्ब कबीलो, कोई किसी को है ना,
मतलब का सब खेल जगत् में, नहीं किसी को रहना॥२॥
कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी, कभी किसी को देई ना,
सब सम्पत्ति तेरी यहीं रहेगी, नहीं कछु लेना-देना॥३॥

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